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Thursday, 1 August 2019
बाबा (मराठी): मोहक, मार्मिक और मनोरंजक! [3.5/5]
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‘पालने वाला बड़ा है, या पैदा करने वाला ? ’ सवाल द्वापर युग से चला आ रहा है, जब कृष्ण को लेकर यशोदा और देवकी दोनों अपने-अपने दावों पर मज़बूत...
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Friday, 26 July 2019
जजमेंटल है क्या: कुछ नया, कुछ रोमांचक...और थोड़ी सी कसर! [3/5]
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आम जिंदगी की बात करें , तो किसी को भी बात-बात पर हंसी-मज़ाक में ‘पागल ’ करार देने और वास्तव में किसी गंभीर मनोरोग से जूझते व्यक्ति को ‘मे...
Friday, 12 July 2019
सुपर 30: हृतिक की मेहनत को ‘जीरो’ करता फिल्मी फ़ार्मूला [2/5]
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दिहाड़ी में 3 रूपये रोज बढ़ाने की मांग करने वाली दलित लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्या होते हम पिछले हफ्ते ही ‘आर्टिकल 15’ में देख चुके ह...
Friday, 28 June 2019
आर्टिकल 15: नये भारत का एक काला सच! [4/5]
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भारतीय समाज का 2000 साल पुराना ढांचा अब गहरा दलदल बन चुका है. जात-पात की गंदगी से भरा एक ऐसा बजबजाता दलदल, जिसे ‘सामाजिक संतुलन ’ का नाम...
Thursday, 6 June 2019
भारत: भाई की ‘ईदी’ और सिनेमा के ‘घाव’ (2/5)
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परदे पर नायक की इमेज़ को भुनाना या दोहराना हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कोई नयी बात नहीं. दिलीप कुमार ‘ट्रेजेडी किंग ’ , मीना कुमारी ‘ट्रेज...
3 comments:
Sunday, 24 March 2019
मर्द को दर्द नहीं होता: अतरंगी किरदार, रंगीली दुनिया, मजेदार मनोरंजन! (4/5)
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फ़िल्मकार के तौर पर, सिनेमा आपको एक ख़ास सहूलियत देता है , अपनी अलग ही एक दुनिया रचने की. ऐसी दुनिया, जिसे या तो अब तक आप जीते आये हैं , ...
Friday, 15 March 2019
फ़ोटोग्राफ : उदासी, ख़ामोशी, खालीपन...और मुंबई! (4/5)
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उदासी का रिश्ता अलग ही होता है. मुंबई जैसे भीड़ भरे शहर में भी, जहां वक़्त को भी ठहरने का वक़्त नहीं, दो एकदम अनजान उदास लोग एक-दूसरे को जानन...
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